कल्पना चावला
बचपन तथा शिक्षा:
अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच मोंटू के नाम से जाने जाने वाली कल्पना
चावला का जन्म 1 जुलाई 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था इनके पिता का नाम
बनारसी लाल चावला है और इनकी मां का नाम संयोगिता चावला है।
इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा टैगोर बाल निकेतन स्कूल करनाल से पूरी की एयरोनॉटिकल
इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री इन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से
ली और इन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री टेक्सस यूनिवर्सिटी
से हासिल की और इसके अलावा इन्होंने मास्टर्स की दूसरी डिग्री और एयरोस्पेस
इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री कॉलोरैडो यूनिवर्सिटी से प्राप्त की।
विवाह और नौकरी:
कल्पना चावला का विवाह 1983 में एवीएशन लेखक और फ्लाइंग
इंस्ट्रक्टर जेन पियरे हैरिसन से हुआ जिन्होंने उन्हें हर कदम पर हौसला
दियाऔर उनके लिए एक आदर्श जीवन साथी साबित हुए। 1990 में कल्पना चावला यूएस
की नागरिकता ले ली।कल्पना खुद ग्लाइडर्स और एरोप्लेन की सर्टिफाइड फ्लाइट
इंस्ट्रक्टर थी और उनके पास गलाइडर्स, सीप्लेन्स तथा सिंगल और मल्टीपल इंजन
एयरप्लेन का कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस भी था।
1988 में उन्होंने नासा एम्स रिसर्च
सेंटर में काम करना शुरू किया जहां उन्होंने लैंडिंग कांसेप्ट और वर्टिकल या
शार्ट टेकऑफ पर कंप्यूटेशनल फ्लुएड डायनामिक्स रिसर्च किया।
5 साल के बाद नासा रिसर्च सेंटर में उन्हें ओवर सटे मेथड का वाइस
प्रेसिडेंट बना दिया गया।
अंतरिक्ष का सफर:
1997 में कल्पना के कैरियर का वह सुनहरा दौर भी आया जब
अंतरिक्ष में जाने का बचपन में देखा हुआ उनका सपना पूरा हुआ स्पेस शटल कोलंबिया
STS-87 से उन्होंने अभियान विशेषज्ञ के तौर पर पहली बार अंतरिक्ष में उड़ान भरी
और अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री बनी। इस पहले
अभियान में उन्होंने 372 घंटे से ज्यादा का समय अंतरिक्ष में गुजारा |
अंतरिक्ष का दूसरा सफर और मौत:
इसके 3 साल बाद यानी 2000 में कल्पना को अंतरिक्ष
में जाने के लिए दोबारा चुना गया। मनहूस अंतरिक्ष यान स्पेस शटल कोलंबिया एसटीएस
107 जिसकी उड़ान पहले ही कई बार रद्द हो चुकी थी आखिरकार 16 जनवरी 2003 में
कल्पना सहित सात अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष पहुंचा जहां कल्पना और उनकी
टीम ने लगभग 80 प्रयोग किए। STS-107 कोलंबिया के 28 वें अभियान के लांच के
वक्त ही स्पेस शटल के बाहय टैंक स फोम इंसुलेशन का एक टुकड़ा टूट कर अलग हो गया
था जिसकी मरम्मत क्रू के द्वारा नहीं की गई और 1 फरवरी 2003 को वापसी के समय
अंतरिक्षयान जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश हुआ तो उसी क्षतिग्रस्त
हिस्से से वायुमंडलीय गैसें वायुयान में प्रवेश कर गई जिससे यान का का
इंटरनल विंग स्ट्रक्चर नस्ट हो गया जिससे असंतुलित होकर पूरा यान
क्षतिग्रस्त हो गया और यान के टुकड़े टैक्सस के ऊपर बिखर गए इसी हादसे में
कल्पना सहित छह काबिल अंतरिक्ष यात्रियों की जान चली गई। कल्पना के शव की पहचान
कर ली गई और उनकी इच्छा अनुसार अंतिम संस्कार के बाद उनकी राख को यूटा ज़ायन नेशनल
पार्क में बिखेर दिया गया।
सम्मान तथा पुरस्कार:
नासा की तरफ से मरणोपरांत कल्पना चावला को संस्थान की
अतुलनीय सेवा के लिए मेडल प्रदान किया गया।सम्मान देने के लिए एक सुपर कंप्यूटर
एक,एस्टेरोइड और चंद्रमा के एक क्रेटर का नामकरण कल्पना के नाम पर किया गया। इसके
अलावा देश विदेश में उनके नाम पर कई छात्रवृत्तियों और अवार्डस की शुरुआत की गई
इसके साथ-साथ कई शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों का नाम कल्पना चावला के नाम पर
रखा गया। इस अदम्य उत्साह और साहस के प्रतिरूप तथा उर्जा पुंज के नाम
को भुलाया नहीं जा सकता।
हम भारत वासी सदैव देश का गौरव बढ़ाने के लिए उनके आभारी रहेंगे।
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